BNS Section 352 in Hindi 

BNS Section 352 in Hindi भारतीय दंड संहिता (BNS), 2023 की धारा 352 – शांति भंग करने की नीयत से जानबूझकर अपमान

BNS Section 352 in Hindi भारतीय दंड संहिता (BNS), 2023 की धारा 352 – उन मामलों से संबंधित है, जहां किसी व्यक्ति का जानबूझकर किया गया अपमान शांति भंग करने की संभावना पैदा कर सकता है। यह प्रावधान भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 504 के समान है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। आइए इस धारा को विस्तार से समझते हैं और इसके साथ ही IPC 504 से इसकी तुलना करते हैं।

धारा 352 पूर्ण प्रावधान

जानबूझकर अपमान करना, जिससे शांति भंग करने की उत्तेजना उत्पन्न हो।

‘’जो कोई जानबूझकर किसी भी प्रकार से अपमान करता है और इस प्रकार किसी व्यक्ति को उकसाता है, इस आशय से या यह जानते हुए कि इस प्रकार का उकसावा उस व्यक्ति को सार्वजनिक शांति भंग करने या किसी अन्य अपराध को करने के लिए प्रेरित करेगा, तो वह व्यक्ति ऐसे अपराध के लिए दो वर्ष तक की किसी भी प्रकार की कारावास, या जुर्माने, या दोनों से दंडनीय होगा।’’

धारा 352 BNS के मुख्य तत्व

1. जानबूझकर किया गया अपमान

✔️ अपमान जानबूझकर किया गया होना चाहिए, यह गलती से या अनजाने में नहीं होना चाहिए। 

✔️ कहे गए शब्द या किए गए कार्य ऐसे होने चाहिए कि एक सामान्य व्यक्ति को उत्तेजित कर सकें और वह ऐसा कदम उठाए जिससे शांति भंग हो। 

✔️ न्यायिक दृष्टिकोण: अदालतों ने IPC 504 के मामलों में कहा है कि केवल आपत्तिजनक शब्द बोलना इस अपराध के लिए पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह साबित करना जरूरी है कि इसका उद्देश्य किसी को उकसाना था।

2. शांति भंग करने की नीयत

✔️ यह अपमान केवल इसलिए नहीं किया गया हो कि वह आक्रामक लगे, बल्कि इसका उद्देश्य हिंसा भड़काना या सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करना होना चाहिए। 

✔️ सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में IPC 504 को लेकर साफ किया गया है कि इस अपराध में आरोपी की नीयत सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये फैसले अब BNS 352 की व्याख्या में भी मदद करेंगे।

3. शांति भंग होने की संभावना

✔️ इस कृत्य में ऐसा कोई तत्व होना चाहिए जिससे सार्वजनिक शांति भंग होने की संभावना हो। 

✔️ अदालतें इस अपराध की गंभीरता को तय करने के लिए घटना की जगह, दोनों पक्षों के संबंध और उसके वास्तविक परिणामों को ध्यान में रखेंगी।


IPC 504 और BNS 352 के बीच तुलना

विशेषताधारा 352 BNSधारा 504 IPC
जानबूझकर अपमानआवश्यकआवश्यक
शांति भंग करने की नीयतआवश्यकआवश्यक
शब्दों का प्रयोग“किसी भी प्रकार से” शब्द जोड़ा गयाऐसा कोई विशेष शब्द नहीं
सज़ा2 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों2 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों
अपराध का प्रकारगैर-संज्ञेय, जमानतीगैर-संज्ञेय, जमानती

धारा 352 BNS में किए गए प्रमुख संशोधन:

  1. “किसी भी प्रकार से” शब्द जोड़ा गया: इसका अर्थ यह है कि अब यह अपराध मौखिक, लिखित, संकेतों या डिजिटल संचार (जैसे सोशल मीडिया पोस्ट, मैसेज इत्यादि) से भी हो सकता है।
  2. संरचनात्मक परिवर्तन: BNS में कानूनी परिभाषाओं को अधिक व्यवस्थित और स्पष्ट किया गया है।

सजा का प्रावधान:

✔️ अधिकतम 2 साल की कैद
✔️ जुर्माना
✔️ दोनों का प्रावधान हो सकता है।

अपराध का स्वभाव:

✔️ गैर-संज्ञेय – पुलिस बिना अदालत की अनुमति के गिरफ्तारी नहीं कर सकती।
✔️ जमानती – आरोपी को जमानत का अधिकार होता है।
✔️ गैर-समझौतावादी – इस अपराध का समझौता अदालत की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता।


महत्वपूर्ण उदाहरण:

✔️ मौखिक गाली-गलौच – यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी को अपमानित करने के लिए अभद्र भाषा का उपयोग करता है और इसका उद्देश्य हिंसा भड़काना है।
✔️ उत्तेजक संकेत – किसी सार्वजनिक स्थान पर किसी को चिढ़ाने या उकसाने के लिए जानबूझकर अश्लील इशारे करना।
✔️ सार्वजनिक अपमान – यदि कोई व्यक्ति किसी को सार्वजनिक रूप से इस तरह से अपमानित करता है जिससे माहौल तनावपूर्ण हो जाए।

कलम-352-भारतीय-न्याय-संहिता-BNS-2023-–-शांतता-भंग-करण्याच्या-उद्देशाने-केलेला-जाणूनबुजून-अपमान-1-min BNS Section 352 in Hindi 
BNS Section 352 in Hindi

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले:

1. रामजी लाल मोदी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1957 AIR 620, SC)

📌 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी भाषण या शब्द का सीधा संबंध हिंसा भड़काने से होना चाहिए, केवल अपमानजनक शब्द कहने से अपराध सिद्ध नहीं होता।

2. बिलाल अहमद कालू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (1997 SCC 431, SC)

📌 इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अपराध साबित करने के लिए “अपराध करने की नीयत” (Mens Rea) आवश्यक है। केवल अपमानजनक शब्द बोलना पर्याप्त नहीं है।

3. श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ (2015 SCC 1, SC)

📌 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी कानून की व्याख्या इतनी व्यापक नहीं होनी चाहिए कि यह बोलने की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित कर दे। केवल तीखी आलोचना को अपराध नहीं बनाया जा सकता।

4. वीर सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (इलाहाबाद HC, 2021)

📌 हाई कोर्ट ने कहा कि यदि केवल गाली-गलौच हुई है और उसका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा।

5. एम.एस. भास्कर बनाम राज्य (मद्रास HC, 2022)

📌 हाई कोर्ट ने माना कि डिजिटल माध्यमों (व्हाट्सएप, फेसबुक आदि) पर किए गए अपमानजनक संदेश भी धारा 352 BNS के अंतर्गत आ सकते हैं, यदि यह सिद्ध हो कि इसका उद्देश्य शांति भंग करना था।


पढ़िए : BNS Section 48: Abetment outside India for offence in India Explained,

Precept under Section 46 of the CPC

महत्वपूर्ण सवाल-जवाब:

प्र. 1: IPC 504 और BNS 352 में क्या अंतर है? 

📌 IPC 504 में यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया था कि अपराध “किसी भी प्रकार से” किया जा सकता है, जबकि BNS 352 ने इसकी व्याख्या और अधिक स्पष्ट कर दी है।

प्र. 2: क्या धारा 352 BNS के तहत पुलिस तुरंत गिरफ्तारी कर सकती है? 

📌 नहीं, यह गैर-संज्ञेय अपराध है, यानी पुलिस को गिरफ्तारी से पहले अदालत की अनुमति लेनी होगी।

प्र. 3: क्या इस अपराध में समझौता किया जा सकता है?

📌 नहीं, यह गैर-समझौतावादी अपराध है। यानी पीड़ित और आरोपी आपसी सहमति से इसे खत्म नहीं कर सकते।

प्र. 4: इस अपराध के लिए अधिकतम सजा क्या हो सकती है? 

📌 2 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों।


निष्कर्ष:

BNS 352, IPC 504 का ही एक आधुनिक और विस्तृत रूप है। इसमें डिजिटल माध्यमों और संचार के नए तरीकों को ध्यान में रखते हुए कानूनी परिभाषाओं को व्यापक बनाया गया है।

यह कानून समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ताकि कोई भी व्यक्ति जानबूझकर अपमान करके सार्वजनिक शांति को भंग न कर सके। अदालतें इस धारा की व्याख्या कैसे करेंगी, यह आने वाले समय में और स्पष्ट होगा।

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