Can a Second Wife Get Maintenance? यह Supreme Court का बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय है — Badshah बनाम Sou. Urmila Badshah Godse & Anr. — जिसमें न्यायालय ने Section 125 CrPC के अंतर्गत एक महिला को maintenance (भरण-पोषण) देने का आदेश दिया, भले ही वह महिला विधिक रूप से “क़ानूनी पत्नी (legally wedded wife)” नहीं मानी गई थी।
यह लेख कानून के छात्रों और UPSC/ज्यूडिशियरी के उम्मीदवारों के लिए लिखा गया है, जिससे वे इस निर्णय की कानूनी व्याख्या, सिद्धांत और सामाजिक दृष्टिकोण से समझ सकें।

❖ Badshah vs Urmila Badshah Godse : जब पति ने धोखा दिया और अदालत ने न्याय दिया
🔸 केस का परिचय
इस मामले में एक महिला (Urmila) ने दावा किया कि उसने Badshah से शादी की थी, लेकिन शादी के कुछ समय बाद पता चला कि वह पहले से शादीशुदा था। महिला ने Section 125 CrPC के अंतर्गत भरण-पोषण (maintenance) की मांग की। पति ने तर्क दिया कि चूँकि यह शादी अवैध है (पहली पत्नी अभी ज़िंदा है), इसलिए वह भरण-पोषण देने के लिए बाध्य नहीं है।
परंतु Supreme Court ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा — “कानून को सामाजिक न्याय के अनुसार व्याख्यायित किया जाना चाहिए, न कि तकनीकी रूप से।“
🔹 केस के मुख्य तथ्य (Facts of the Case)
- Urmila ने पहले पति से 1997 में तलाक़ ले लिया था।
- Badshah ने उससे शादी की 10 फरवरी 2005 को — हिंदू रीति-रिवाजों से।
- शादी के बाद वह कुछ महीने साथ रहे, फिर एक महिला Shobha सामने आई, जिसने खुद को Badshah की पहली पत्नी बताया।
- Urmila ने बताया कि वह गर्भवती थी, लेकिन इसके बावजूद उसे मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी गई।
- एक बेटी Shivanjali का जन्म हुआ, जिसे Urmila ने Badshah की संतान बताया।
- बाद में पति ने कोर्ट में कहा कि वह Urmila की कानूनी पत्नी नहीं है, और बच्ची भी उसकी नहीं है।
🔸 निचली अदालतों के फैसले
- Judicial Magistrate First Class (JMFC), Sangamner :
- Urmila को ₹1000 और बेटी को ₹500 प्रतिमाह भरण-पोषण देने का आदेश।
- यह पाया गया कि शादी हुई थी और Badshah ने धोखे से शादी की।
- Urmila को ₹1000 और बेटी को ₹500 प्रतिमाह भरण-पोषण देने का आदेश।
- Sessions Court और High Court:
- दोनों ने JMFC के फैसले को सही माना और अपील खारिज की।
- दोनों ने JMFC के फैसले को सही माना और अपील खारिज की।
🔹 Supreme Court में मुख्य विवाद
प्रश्न:
क्या Urmila, जो एक वैध पत्नी नहीं है क्योंकि पति पहले से शादीशुदा था, वह CrPC की धारा 125 के अंतर्गत भरण-पोषण मांग सकती है?
पति का तर्क:
- Urmila क़ानूनी पत्नी नहीं है क्योंकि Hindu Marriage Act के अनुसार पहली शादी के रहते दूसरी शादी अमान्य (void) होती है।
- इसलिए CrPC की धारा 125 के अंतर्गत वह “wife” नहीं मानी जा सकती।
🔸 Supreme Court का निर्णय
Supreme Court ने साफ कहा:
“पति अपने धोखे का लाभ नहीं उठा सकता। अगर उसने किसी महिला से यह छिपा कर शादी की कि वह पहले से शादीशुदा है, तो वह उसे छोड़ नहीं सकता सिर्फ इसलिए कि वह “क़ानूनी पत्नी” नहीं थी।”
✦ Court ने निम्नलिखित सिद्धांतों को अपनाया:
- सामाजिक न्याय (Social Justice):
- CrPC की धारा 125 का उद्देश्य केवल विधिक तकनीकी मामलों का निपटारा नहीं है, बल्कि निर्धन महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा करना है।
- CrPC की धारा 125 का उद्देश्य केवल विधिक तकनीकी मामलों का निपटारा नहीं है, बल्कि निर्धन महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा करना है।
- Purposive Interpretation (उद्देश्यपूर्ण व्याख्या):
- कानून का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को सहायता देना है, न कि उन्हें छोड़ देना।
- कानून का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को सहायता देना है, न कि उन्हें छोड़ देना।
- “Wife” की व्यापक परिभाषा:
- यदि कोई महिला इस विश्वास में विवाह करती है कि वह वैध है और पति उसे धोखा देता है, तो उसे CrPC की धारा 125 में “wife” माना जाएगा।
- यदि कोई महिला इस विश्वास में विवाह करती है कि वह वैध है और पति उसे धोखा देता है, तो उसे CrPC की धारा 125 में “wife” माना जाएगा।
- कानून और समाज का तालमेल:
- कानून एक जीवित दस्तावेज है। जैसे समाज में परिवर्तन होते हैं, वैसे ही कानून की व्याख्या में भी लचीलापन होना चाहिए।
- कानून एक जीवित दस्तावेज है। जैसे समाज में परिवर्तन होते हैं, वैसे ही कानून की व्याख्या में भी लचीलापन होना चाहिए।
🔹 महत्वपूर्ण निर्णय जिनका हवाला दिया गया
- Dwarika Prasad Satpathy v. Bidyut Prava Dixit (1999):
- CrPC की धारा 125 के अंतर्गत शादी का कठोर प्रमाण आवश्यक नहीं है; यदि पति-पत्नी साथ रहते हैं, तो पति दायित्व से नहीं बच सकता।
- CrPC की धारा 125 के अंतर्गत शादी का कठोर प्रमाण आवश्यक नहीं है; यदि पति-पत्नी साथ रहते हैं, तो पति दायित्व से नहीं बच सकता।
- Chanmuniya v. Virendra Kumar (2011):
- जब कोई महिला लंबे समय तक पति के रूप में किसी पुरुष के साथ रहती है, तो उसे पत्नी के अधिकार मिल सकते हैं।
- जब कोई महिला लंबे समय तक पति के रूप में किसी पुरुष के साथ रहती है, तो उसे पत्नी के अधिकार मिल सकते हैं।
- Rameshchandra Daga v. Rameshwari Daga (2005):
- भले ही शादी अमान्य हो, परंतु पत्नी को maintenance का अधिकार हो सकता है।
- भले ही शादी अमान्य हो, परंतु पत्नी को maintenance का अधिकार हो सकता है।
- Shah Bano & Shabana Bano Cases (1985, 2010):
- मुस्लिम महिलाओं को भी भरण-पोषण का अधिकार है — सामाजिक न्याय सर्वोपरि है।
- मुस्लिम महिलाओं को भी भरण-पोषण का अधिकार है — सामाजिक न्याय सर्वोपरि है।
🔸 न्यायालय द्वारा अपनाई गई मुख्य बातें
- “कोई भी व्यक्ति अपने ही गलत कार्यों से लाभ नहीं उठा सकता।”
- “CrPC की धारा 125 को संविधान के सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप व्याख्या करना चाहिए।”
- “कानून का उद्देश्य सिर्फ किताबों में नहीं, समाज की हकीकत में उतरना है।”
🔹 कानून छात्रों के लिए सीख (Key Takeaways)
बिंदु | व्याख्या |
Section 125 CrPC | महिलाओं और बच्चों को भरण-पोषण देने के लिए बना सामाजिक सुरक्षा प्रावधान |
‘Wife’ की परिभाषा | केवल कानूनी विवाह ही नहीं, धोखे में हुई शादी भी शामिल हो सकती है |
Jurisprudence | सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देने वाली व्याख्या |
पति का दायित्व | चाहे शादी वैध हो या नहीं, अगर उसने धोखा दिया है तो भरण-पोषण देना होगा |
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No Maintenance to Educated Wife: Madhya Pradesh High Court
Subsequent other judgment on Can a Second Wife Get Maintenance?
यहाँ “Badshah बनाम Urmila” (2013) केस के बाद भारतीय न्यायपालिका द्वारा दिए गए कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों की सूची है, जो दूसरी पत्नी के भरण-पोषण (maintenance) के अधिकार से संबंधित हैं:
🧾 1. X बनाम महाराष्ट्र राज्य (2023)
- न्यायालय: बॉम्बे हाईकोर्ट
- निर्णय: पति ने पहली शादी की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी की थी। कोर्ट ने कहा कि पति अपने धोखे का लाभ नहीं उठा सकता और दूसरी पत्नी को CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का अधिकार है।
🧾 2. Gaddam Ruth Victoria बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (2023)
- न्यायालय: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट
- निर्णय: दूसरी पत्नी को परिवार पेंशन का अधिकार दिया गया, यह मानते हुए कि ‘पत्नी’ की परिभाषा में दूसरी पत्नी भी शामिल हो सकती है, यदि विवाह को सरकारी दस्तावेजों में मान्यता प्राप्त हो। (Verdictum)
🧾 3. Smt. Sangeeta Rathore बनाम Naresh Rathore (2023)
- न्यायालय: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
- निर्णय: कोर्ट ने कहा कि केवल ‘क़ानूनी पत्नी’ को ही CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का अधिकार है। यदि विवाह वैध नहीं है, तो भरण-पोषण का दावा अस्वीकार्य है।
🧾 4. Smt. Kahkashan & Ors. बनाम Umesh Kumar Gupta @ Abbas Husain (2022)
- न्यायालय: इलाहाबाद हाईकोर्ट
- निर्णय: कोर्ट ने माना कि यदि पति ने पहली शादी की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी की है, तो दूसरी पत्नी को CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का अधिकार है।
🧾 5. Mohd. Swahaleen बनाम Anamta (2022)
- न्यायालय: इलाहाबाद हाईकोर्ट
- निर्णय: कोर्ट ने कहा कि यदि पति सक्षम है और आय अर्जित करने में सक्षम है, तो उसे अपनी पत्नी को भरण-पोषण देना होगा, भले ही वह आय का दावा न करे। (Indian Kanoon)
🧾 6. Rohtash Singh बनाम Ramendri (2000)
- न्यायालय: सुप्रीम कोर्ट
- निर्णय: कोर्ट ने कहा कि तलाकशुदा पत्नी भी CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की हकदार है, यदि वह स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ है। (TheLawmatics)
🧾 7. Pyla Mutyalamma बनाम Pyla Suri Demudu (2011)
- न्यायालय: सुप्रीम कोर्ट
- निर्णय: कोर्ट ने कहा कि भरण-पोषण के दावे के लिए विवाह का कठोर प्रमाण आवश्यक नहीं है; यदि पति-पत्नी के रूप में साथ रहने के पर्याप्त साक्ष्य हैं, तो भरण-पोषण का दावा किया जा सकता है।
इन निर्णयों से स्पष्ट है कि भारतीय न्यायपालिका ने महिलाओं के भरण-पोषण के अधिकार को सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के आधार पर विस्तारित किया है। यदि पति ने पहली शादी की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी की है, तो दूसरी पत्नी को भी CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का अधिकार प्राप्त हो सकता है। हालांकि, प्रत्येक मामले के तथ्य और परिस्थितियाँ भिन्न हो सकती हैं, इसलिए कानूनी सलाह के लिए विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित होगा।
🤔 FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1. क्या पति की दूसरी शादी अगर गैरकानूनी हो तो महिला maintenance मांग सकती है?
✅ हां, अगर उसने पहली शादी की जानकारी छुपाई हो, तो महिला को Section 125 CrPC के तहत maintenance का अधिकार है।
Q2. क्या शादी के प्रमाण की आवश्यकता होती है CrPC 125 में?
🧾 नहीं जरूरी, अगर महिला यह सिद्ध कर सके कि वे साथ रहे हैं और समाज में पति-पत्नी के रूप में माने गए।
Q3. क्या CrPC 125 सिर्फ कानूनी पत्नी के लिए है?
🛑 नहीं। Supreme Court ने माना कि “wife” शब्द का अर्थ व्यापक है, विशेष रूप से जब महिला को धोखे से शादी में बाँधा गया हो।
Q4. क्या इस केस का उपयोग दूसरे maintenance मामलों में हो सकता है?
📌 बिल्कुल! यह निर्णय एक मील का पत्थर (landmark) है, जिसे समान परिस्थितियों में उद्धृत किया जा सकता है।
🔸 निष्कर्ष
इस फैसले से स्पष्ट होता है कि न्यायालयें अब सामाजिक संवेदनशीलता और संवैधानिक मूल्यों को ध्यान में रखकर फैसला करती हैं। Section 125 CrPC का उद्देश्य सिर्फ कानून नहीं, बल्कि न्याय देना है — और यदि पति ने धोखा दिया है, तो उसे अपने कृत्य की सज़ा भुगतनी ही होगी।
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