BNS Section 336 Forgery in Hindi आजकल जालसाजी के मामले बहुत बढ़ गए हैं। चाहे प्रॉपर्टी के पेपर हों, जमीन-जायदाद के कागज़ात हों या कोई और दस्तावेज़ — धोखाधड़ी करने वाले हर जगह एक्टिव हैं।आपने कभी सुना होगा — “साइन नकली था”, “दस्तावेज़ में छेड़छाड़ की गई”, या “फर्ज़ी पेपर बनाकर जमीन बेच दी गई”। ये सब जालसाज़ी (Forgery) के क्लासिक उदाहरण हैं। ऐसे में आम आदमी के मन में सबसे बड़ा सवाल यही होता है — “अगर किसी ने मेरे दस्तावेजों में जालसाजी कर दी तो मैं क्या करूं?”, “घर की रजिस्ट्री में गड़बड़ कर दी गई है, अब कैसे लड़ाई लड़ें?”, या फिर “कोर्ट में जालसाजी को कैसे साबित करें?”
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 336 ऐसे ही मामलों को कवर करती है — जहां कोई जान-बूझकर फर्जी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाता है, ताकि किसी को नुकसान पहुंचे, धोखा हो या धोखाधड़ी की जाए।

1. BNS Section 336 की व्याख्या : दस्तावेजों की जालसाजी क्या है?
धारा 336
(1) जो कोई भी किसी झूठे दस्तावेज़ या झूठे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को, या दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के किसी भाग को बनाता है, इस इरादे से कि जनता या किसी व्यक्ति को हानि या क्षति पहुँचे, या किसी दावे या अधिकार को सिद्ध करने के लिए, या किसी व्यक्ति को संपत्ति से वंचित करने के लिए, या उसे किसी स्पष्ट या अप्रकट अनुबंध में प्रवेश करने के लिए बाध्य करने के उद्देश्य से, या धोखा देने के इरादे से, या इस उद्देश्य से कि धोखा दिया जा सके — वह कूटरचना (Forgery) करता है।
(2) जो कोई कूटरचना करता है, उसे ऐसे कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक हो सकती है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
(3) जो कोई इस इरादे से कूटरचना करता है कि ऐसा झूठा दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड धोखा देने के उद्देश्य से उपयोग किया जाएगा, उसे ऐसे कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक हो सकती है, और साथ ही जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा।
(4) जो कोई इस इरादे से कूटरचना करता है कि ऐसा झूठा दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाए, या यह जानते हुए कि इसका उपयोग उस उद्देश्य से किया जा सकता है, उसे ऐसे कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक हो सकती है, और वह जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा।
⚖️ धारा 336 (BNS) का सरल भाषा में मतलब:
कोई भी व्यक्ति जो जानबूझकर नकली दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाता है या उसका कोई हिस्सा बदलता है, और उसका इरादा होता है:
- किसी व्यक्ति या जनता को नुकसान पहुंचाना,
- किसी झूठे दावे या हक को साबित करना,
- किसी को उसकी संपत्ति से वंचित करना,
- किसी से जान-बूझकर समझौता (contract) करवाना,
- या धोखा देना/धोखा करवाना,
तो वो जालसाज़ी (Forgery) करता है और इस धारा के तहत अपराधी माना जाएगा।
🧩 जालसाज़ी के मुख्य तत्व (Ingredients of Forgery):
- फर्जी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाना।
- जानबूझकर बनाना (इंटेशन जरूरी है)।
- इरादा किसी को धोखा देने, नुकसान पहुंचाने या हक साबित करने का हो।
- उस नकली दस्तावेज़ का इस्तेमाल करने की मंशा हो।
💡 उदाहरण से समझिए:
- किसी ने झूठा पहचान पत्र बनाकर SIM कार्ड ले लिया — Forgery + Cheating
- फर्जी वसीयत (Will) तैयार की ताकि जमीन पर कब्जा किया जा सके — Forgery to support false claim
- किसी कंपनी का फर्जी बिल बनाकर पेमेंट निकाल ली — Forgery to cause loss
- किसी के नाम से झूठा मेल भेजा जिससे उसकी बदनामी हो — Forgery to harm reputation
👨⚖️ क्या सज़ा हो सकती है? (Punishment under Section 336 BNS):
अपराध की प्रकृति | सज़ा | जुर्माना |
साधारण जालसाज़ी | अधिकतम 2 साल | या जुर्माना या दोनों |
Cheating के उद्देश्य से की गई Forgery | अधिकतम 7 साल | + जुर्माना अनिवार्य |
Reputation को नुकसान पहुंचाने के इरादे से Forgery | अधिकतम 3 साल | + जुर्माना अनिवार्य |
📑 दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का मतलब क्या है?
“Document” में कागज़ी सबूत, अनुबंध, पहचान पत्र, चेक, वसीयत आदि आते हैं।
“Electronic Record” में PDF, Word File, Email, WhatsApp chats, screenshots, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर आदि शामिल होते हैं।
अब डिजिटल दुनिया में फर्जी WhatsApp चैट, AI-generated certificates, या मॉर्फ किए गए वीडियो — सब इस धारा के दायरे में आते हैं।
🧾 धारा 336 की तुलना पुराने IPC से:
बिंदु | IPC 1860 (Section 463–471) | BNS 2023 (Section 336) |
कई सेक्शन में बांटा गया था | हां, 463–471 तक | अब एकीकृत धारा 336 |
इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड | धीरे-धीरे जोड़ा गया | स्पष्ट रूप से शामिल |
भाषा | क्लासिक अंग्रेज़ी | सरल, आधुनिक और टेक-फ्रेंडली |
2. जाली दस्तावेज पर कानूनी कार्यवाही कैसे करें? (How to lodge an FIR in Forgery ?)
अगर आपको लगता है कि किसी ने आपके दस्तावेज में जालसाजी की है, तो सीधे पुलिस स्टेशन जाकर FIR दर्ज कराएं।
FIR में आपको यह साफ लिखवाना चाहिए कि:
- किस दस्तावेज में जालसाजी हुई है।
- किसने की है (अगर पता है)।
- क्या नुकसान हुआ है।
Section 336 के तहत Charges कैसे लगवाएं?
- FIR में साफ तौर पर लिखवाएं कि आरोपी ने BNS Section 336 का उल्लंघन किया है।
- अगर पुलिस मदद नहीं करे तो SP को शिकायत करें या कोर्ट में प्राइवेट कंप्लेंट दायर करें।
कोर्ट में क्या प्रक्रिया होती है?
- FIR के बाद पुलिस जांच करेगी।
- पुलिस चार्जशीट फाइल करेगी।
- फिर कोर्ट में ट्रायल शुरू होगा।
- सबूत और गवाहों के आधार पर फैसला होगा।
3. घर की रजिस्ट्री में जालसाजी के केस कैसे लड़ें? (Real Estate Forgery: Legal Remedies and Steps)
अगर घर या जमीन के पेपर में धोखाधड़ी हुई है तो:
- रजिस्ट्रार ऑफिस से रजिस्ट्री की Certified Copy निकलवाएं।
- Compare करें कि कहां गड़बड़ी हुई है।
- FIR कराएं और Section 336 के तहत केस फाइल करें।
- Civil Suit भी दायर करें जिसमें रजिस्ट्री को रद्द (Cancel) करने की मांग करें।
Property Documents का Verification कैसे करें?
- रजिस्ट्री ऑफिस से असली दस्तावेज निकलवाएं।
- Mutation रिकॉर्ड और प्रॉपर्टी टैक्स रिकॉर्ड चेक करें।
- अगर शक हो तो Forensic Handwriting Expert से दस्तावेजों की जांच करवाएं।
Legal Actions for Property Fraud
- Civil और Criminal दोनों मुकदमे चल सकते हैं।
- Civil Court में रजिस्ट्री को कैंसल कराने का केस।
- Criminal Court में धोखाधड़ी और जालसाजी का केस।
4. जमीन धोखाधड़ी से जुड़ी महत्वपूर्ण अदालत की टिप्पणियां
Important Court Rulings:
- सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा है कि प्रॉपर्टी के मामलों में जालसाजी बहुत गंभीर अपराध है।
- अगर किसी ने जानबूझकर दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
- High Court भी कह चुका है कि नकली दस्तावेज बनाने वाले के खिलाफ सख्त सजा होनी चाहिए।
Key Takeaways:
- दस्तावेजों की जालसाजी साबित करने के लिए मजबूत सबूत बहुत जरूरी है।
- कोर्ट गवाहों और फोरेंसिक रिपोर्ट्स को बहुत गंभीरता से लेता है।
READ MORE: False Case in India: झूठे केस से बचने के कानूनी उपाय
Corroboration and Omissions in Indian Evidence Law
5. जालसाजी के कानूनी परिणाम (Legal Consequences of Forgery)
Punishment under BNS Section 336 के तहत शिक्षा का प्रावधान :
अगर कोई दोषी पाया जाता है तो:
- सजा: 7 साल तक की जेल हो सकती है।
- जुर्माना: कोर्ट तय करेगा, नुकसान के आधार पर।
Imprisonment & Fines
- गंभीर मामलों में जेल के साथ मोटा जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
6. कोर्ट में जालसाजी कैसे साबित करें? (How to Prove Forgery in Court?)
Essential Evidence
- असली दस्तावेज और फर्जी दस्तावेज।
- फोरेंसिक रिपोर्ट (Handwriting Expert से)।
- सरकारी रिकॉर्ड की Certified Copies।
Witness Statements
- दस्तावेज तैयार कराने वाले गवाह।
- रजिस्ट्रार ऑफिस के अधिकारी।
Court Procedure for Forgery
- सबूत पेश करना।
- गवाहों का बयान।
- क्रॉस एग्जामिनेशन।
- कोर्ट का अंतिम निर्णय।
7. जालसाजी से कैसे बचें? (Prevention of Forgery)
Tips for Verifying Documents
- हर दस्तावेज को रजिस्ट्री ऑफिस से चेक करें।
- बिना वकील से सलाह लिए कोई प्रॉपर्टी डील न करें।
How to Ensure Authenticity of Property Documents?
- पुराने मालिकों से Proper Verification करें।
- Mutation रिकॉर्ड्स जरूर देखें।
- प्रॉपर्टी का Search report कमसे काम १३ साल का जरूर निकलवाए
- प्रॉपर्टी लेनी हो तो लोकल न्यूज़ पेपर में पब्लिक नोटिस जरूर दे
- हो सके तो प्रॉपर्टी मालिक के सभी घरवालों के consent जरूर ले
8. जाली दस्तावेज का प्रॉपर्टी मालिकाना हक पर असर (Impact of Forged Documents on Property Ownership)
अगर किसी दस्तावेज में जालसाजी साबित हो जाए:
- मालिकाना हक (Title) खतरे में पड़ जाता है।
- नए मालिक का दावा कमजोर पड़ सकता है।
- कोर्ट रजिस्ट्री को रद्द कर सकता है।
9. जालसाजी के मामलों में जेल, जुर्माना और कानूनी अधिकार (Jails, Fines & Penalties in Forgery Cases)
Legal Recourse for Victims
Civil Suit फाइल करें रजिस्ट्री को रद्द कराने के लिए।
Criminal Complaint करें Section 336 के तहत।
Damages के लिए अलग से मुकदमा भी फाइल कर सकते हैं।
Real-life Case Studies
- कई केसों में लोगों ने FIR के साथ-साथ Civil Suit फाइल करके अपनी संपत्ति वापस पाई है।
- Supreme Court और High Court ने Property Forgery में बहुत सख्त फैसले दिए हैं।
📘 महत्वपूर्ण केस लॉ:
1. Mohd. Ibrahim vs State of Bihar (2009)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई दस्तावेज़ इस इरादे से तैयार किया गया हो कि वह असली प्रतीत हो और किसी को धोखा दिया जाए, तो यह जालसाज़ी है, भले ही वो अभी उपयोग में न आया हो।
2. Ram Narain Popli vs CBI (2003)
अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल कागज़ नहीं, इलेक्ट्रॉनिक डॉक्युमेंट्स भी Forgery के अंतर्गत आते हैं। झूठे ईमेल या डिजिटल डॉक्युमेंट्स पर भी वही कानून लागू होगा।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. अगर कोई मेरे घर की रजिस्ट्री में जालसाजी करे तो मैं क्या करूं?
➔ तुरंत FIR दर्ज कराएं और कोर्ट में केस दायर करें।
Q2. जाली दस्तावेज को साबित करने के लिए सबसे जरूरी सबूत क्या होता है?
➔ असली और नकली दस्तावेजों की तुलना और फोरेंसिक रिपोर्ट।
Q3. क्या प्रॉपर्टी जालसाजी के लिए दोनों Civil और Criminal Action हो सकते हैं?
➔ हां, दोनों प्रकार के मुकदमे फाइल किए जा सकते हैं।
Q4. जालसाजी के लिए कितनी सजा हो सकती है?
➔ 7 साल तक की जेल और जुर्माना।
Q5. अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं करे तो क्या करें?
➔ SP को शिकायत करें या कोर्ट में डायरेक्ट प्राइवेट कंप्लेंट करें।
Q6. प्रॉपर्टी दस्तावेजों की जांच कैसे करें?
➔ रजिस्ट्रार ऑफिस से Certified Copy लें और वकील से चेक कराएं।
Q7. कोर्ट में Forgery का ट्रायल कैसे चलता है?
➔ सबूत, गवाहों और फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर ट्रायल होता है।
Q8. क्या फर्जी दस्तावेज़ बनाना ही अपराध है, इस्तेमाल जरूरी नहीं?
✔️ हां, केवल बनाना ही अपराध है। इस्तेमाल करना जरूरी नहीं।
Q9. WhatsApp चैट या Screenshot भी forgery में आता है क्या?
✔️ हां, अगर वो जानबूझकर झूठे बनाए गए हों और धोखे के उद्देश्य से हों।
Q10. क्या यह अपराध जमानती है?
यह इस पर निर्भर करेगा कि इरादा क्या था — साधारण forgery जमानती हो सकती है, लेकिन cheating या reputation damage वाले मामलों में गैर-जमानती भी हो सकता है।
Conclusion (समापन)
धारा 336 BNS 2023 सिर्फ कागज़ों तक सीमित नहीं है, ये डिजिटल युग की जालसाज़ी को भी कवर करती है। अब चाहे नकली सर्टिफिकेट हो या मॉर्फ्ड वीडियो — अगर आपका इरादा धोखा देने या नुकसान पहुँचाने का है, तो कानून आपसे निपटेगा।
यह धारा हमें यह सिखाती है कि फर्जीवाड़ा, चाहे डिजिटल हो या दस्तावेज़ी, गंभीर अपराध है और उसका अंजाम जेल भी हो सकता है।“कानून की जानकारी रखिए, अपने अधिकारों के लिए लड़िए और अपने दस्तावेजों की रक्षा खुद करिए!”
Legallyin.com आपके साथ हर कदम पर है — “जहां कानून सरल भाषा में समझाया जाता है।”