BNS Section 57 in Hindi उन मामलों से जुड़ी है जहाँ कोई व्यक्ति बड़ी भीड़ को अपराध करने के लिए भड़काता है। अगर 10 से ज़्यादा लोग किसी अपराध में शामिल होते हैं, और किसी ने उन्हें उकसाया है, तो वह इस कानून के तहत दोषी माना जाएगा।
57. सार्वजनिक रूप से या दस से अधिक व्यक्तियों द्वारा अपराध करने के लिए उकसाना: प्रावधान
जो कोई भी सार्वजनिक रूप से या दस से अधिक व्यक्तियों के किसी समूह या वर्ग को अपराध करने के लिए उकसाता है, उसे सात वर्ष तक की अवधि के लिए कारावास की सजा दी जा सकती है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान पर एक पोस्टर लगाता है, जिसमें दस से अधिक व्यक्तियों के किसी समुदाय को एक निश्चित समय और स्थान पर एकत्रित होकर किसी विरोधी समुदाय के सदस्यों पर हमला करने के लिए उकसाया जाता है, जबकि वे एक जुलूस में शामिल हैं, तो उस व्यक्ति ने इस धारा के अंतर्गत अपराध किया है।
आसान शब्दों मे :
- अपराध का स्वरूप: अगर कोई व्यक्ति 10 से अधिक लोगों की भीड़ को अपराध करने के लिए उकसाता है, तो उस पर इस धारा के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
- सज़ा: दोषी पाए जाने पर अपराधी को 7 साल तक की जेल हो सकती है, साथ ही उसे जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
- उदाहरण: मान लीजिए कि कोई व्यक्ति खुले तौर पर किसी समुदाय के लोगों को उकसाता है कि वे दूसरे समुदाय पर हमला करें, तो उस व्यक्ति को धारा 57 के तहत सज़ा दी जाएगी।
इस कानून का महत्व:
यह कानून भीड़ द्वारा हिंसा और ग़लत कामों को रोकने में मदद करता है। जो लोग दूसरों को अपराध करने के लिए भड़काते हैं, उन्हें इस कानून के ज़रिए सज़ा दी जाती है।
धारा 57 कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। यह लोगों को संदेश देता है कि समाज में शांति बनाए रखना जरूरी है और अगर कोई ग़लत काम करने के लिए दूसरों को भड़काएगा, तो उसे सख्त सज़ा मिलेगी।
BNS के तहत उकसाने से संबंधित अपराध और सज़ा
धारा | अपराध | सज़ा | मुख्य विवरण |
---|---|---|---|
56 | किसी अपराध को करने के लिए उकसाना, जो कैद योग्य है | अपराध की अधिकतम सज़ा की चौथाई अवधि तक की सज़ा या जुर्माना या दोनों | जब उकसाने के बावजूद अपराध नहीं किया जाता |
56 (सरकारी अधिकारी द्वारा उकसाना) | सरकारी अधिकारी, जो अपराध रोकने के लिए ज़िम्मेदार है, द्वारा उकसाना | अपराध की अधिकतम सज़ा की आधी अवधि तक की सज़ा | सरकारी पद पर बैठे व्यक्ति के लिए कठोर दंड |
57 | दस से अधिक व्यक्तियों के समूह को अपराध करने के लिए उकसाना | सात साल तक की कैद और जुर्माना | जब कोई व्यक्ति एक बड़े समूह को अपराध करने के लिए प्रेरित करता है |
IPC धारा 117 से तुलना (BNS धारा 57 vs IPC धारा 117)
🔹 IPC धारा 117: सार्वजनिक रूप से या 10 से अधिक व्यक्तियों को अपराध के लिए उकसाना
जो व्यक्ति जनता या किसी समूह (जो 10 से अधिक हो) को किसी अपराध के लिए उकसाता है, उसे 3 साल तक की जेल, या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
मुख्य बातें:
- उकसावा जरूरी नहीं कि सार्वजनिक हो।
- उकसावा किसी बड़े समूह या जनता को किया गया हो।
- सज़ा: 3 साल तक की जेल + जुर्माना या दोनों।
✅ मुख्य अंतर: Comparision
पहलू | BNS धारा 57 | IPC धारा 117 |
किसे उकसाया गया | 10 या अधिक लोगों का समूह | 10 से अधिक लोगों का समूह या आम जनता |
कैसे उकसाया गया | सार्वजनिक रूप से | किसी भी तरह से (जरूरी नहीं सार्वजनिक) |
सज़ा | 7 साल तक की जेल + जुर्माना | 3 साल तक की जेल + जुर्माना या दोनों |
भाषा की स्पष्टता | सार्वजनिक रूप से भीड़ को भड़काने पर ज़ोर | आम उकसावे की स्थिति |
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BNS Section 57 in Hindi से जुड़े FAQs
1. BNS की धारा 57 क्या है?
धारा 57 दस या अधिक व्यक्तियों के समूह को अपराध करने के लिए उकसाने से संबंधित है। यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक रूप से या एक बड़े समूह को अपराध करने के लिए प्रेरित करता है, तो उसे सात साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।
2. BNS की धारा 56 क्या है?
धारा 56 उन मामलों को कवर करती है जहाँ किसी अपराध को करने के लिए उकसाया जाता है, लेकिन अपराध अंजाम नहीं दिया जाता। ऐसे मामलों में उकसाने वाले को उस अपराध की अधिकतम सज़ा की चौथाई अवधि तक की सज़ा, जुर्माना, या दोनों मिल सकते हैं। यदि उकसाने वाला सरकारी कर्मचारी है, तो उसे आधी अवधि तक की सज़ा मिल सकती है।
3. BNS के तहत उकसाना क्या होता है?
उकसाना का अर्थ है अपराध करने के लिए प्रेरित करना, सहायता देना, या साजिश रचना। यदि अपराध अंततः नहीं भी किया जाता है, तो भी उकसाने वाला जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
4. क्या BNS के तहत उकसाना दंडनीय अपराध है?
हाँ, BNS की विभिन्न धाराओं के तहत उकसाना अपराध की प्रकृति और अपराधी की भूमिका के आधार पर दंडनीय है।
5. यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपराध करने के लिए उकसाता है, तो क्या होता है?
यदि कोई सरकारी कर्मचारी, जो अपराध रोकने के लिए ज़िम्मेदार है, स्वयं किसी अपराध के लिए उकसाता है, तो उसे अधिक कठोर दंड मिलेगा, जो अपराध की अधिकतम अवधि की आधी अवधि तक बढ़ सकता है।
6. क्या किसी अपराध के न होने पर भी उकसाने वाले को सज़ा मिल सकती है?
हाँ, धारा 56 के तहत, भले ही अपराध को अंजाम न दिया गया हो, उकसाने वाले को सज़ा मिल सकती है।
7. बड़े समूह को अपराध करने के लिए उकसाने पर क्या सज़ा है?
धारा 57 के तहत, यदि कोई व्यक्ति दस से अधिक व्यक्तियों को अपराध करने के लिए उकसाता है, तो उसे सात साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।
📌 निष्कर्ष:
BNS की धारा 57 IPC की धारा 117 से ज़्यादा कड़ी और साफ़-साफ़ लिखी गई है। IPC में सिर्फ सामान्य उकसावे की बात थी, लेकिन BNS में खास तौर पर भीड़ को सार्वजनिक रूप से अपराध के लिए उकसाने की बात कही गई है। इससे साफ होता है कि BNS कानून भीड़ हिंसा को रोकने के लिए ज़्यादा सख्त और साफ दिशा में बना है।

🛑 Disclaimer:
This article is intended solely for educational and informational purposes. It provides a comparative overview of legal provisions under the Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 and the Indian Penal Code, 1860, based on publicly available legal texts and judicial interpretations.
The content herein does not constitute legal advice or a legal opinion of any kind. Readers are advised to consult a qualified legal professional for advice on specific legal issues or cases.