BNS Sec 75 Sexual Harassment in Hindi गरिमा की बात करने वाला कानून
इस वर्तमान समय में जब लैंगिक समानता और महिलाओं की सुरक्षा पर बातचीत जोर पकड़ रही है, भारतीय न्याय संहिता, 2023 ने पुराने औपनिवेशिक कानून को हटा कर भारत की ज़मीनी हकीकत के अनुसार एक नया ढांचा दिया है। BNS की धारा 75 यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक सशक्त और स्पष्ट रुख अपनाती है। यह न केवल यौन उत्पीड़न की परिभाषा देती है, बल्कि अपराध की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग सज़ा भी निर्धारित करती है।

BNS Sec 75 : यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) – प्रावधान
(1) कोई भी पुरुष यदि निम्नलिखित में से कोई भी कार्य करता है:
(i) ऐसा शारीरिक स्पर्श या व्यवहार करना जिसमें अश्लील इरादे हों और जो महिला को पसंद न हो;
(ii) यौन संबंध बनाने के लिए मांग करना या यौन सेवाओं की अपेक्षा रखना;
(iii) किसी महिला की इच्छा के खिलाफ उसे अश्लील फिल्में या सामग्री दिखाना;
(iv) महिला के प्रति अश्लील या यौन संकेत वाले कमेंट्स करना;
तो उसे यौन उत्पीड़न का दोषी माना जाएगा।
(2) अगर कोई पुरुष ऊपर दिए गए (i), (ii), या (iii) में से कोई भी अपराध करता है,
तो उसे अधिकतम तीन साल की सख्त कैद, या जुर्माना, या दोनों सजा दी जा सकती है।
(3) अगर कोई पुरुष ऊपर दिए गए (iv) वाला अपराध करता है,
तो उसे अधिकतम एक साल की जेल (साधारण या सख्त), या जुर्माना, या दोनों सजा दी जा सकती है।
BNS Sec 75: प्रावधान को सरल शब्दों में समझे :
धारा 75 के उपधारा (1) के अनुसार, यदि कोई पुरुष निम्नलिखित में से कोई भी कार्य करता है, तो वह यौन उत्पीड़न का दोषी माना जाएगा:
- ऐसा शारीरिक संपर्क या व्यवहार करना जिसमें महिला की इच्छा के विरुद्ध स्पष्ट यौन इरादा हो,
- यौन अनुग्रह (sexual favour) की मांग या अनुरोध करना,
- किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध अश्लील वीडियो या पोर्न दिखाना,
- यौन टिप्पणी या अशोभनीय बातें करना।
ये सभी कृत्य महिला के लिए अवांछनीय होने चाहिए और उसकी गरिमा को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से किए गए हों।
उपधारा (2) कहती है कि पहले तीन प्रकार के अपराधों के लिए सज़ा होगी:
- अधिकतम तीन वर्ष तक का कठोर कारावास, या
- जुर्माना, या
- दोनों।
उपधारा (3) यौन टिप्पणी के लिए हल्की सज़ा का प्रावधान करती है:
- अधिकतम एक वर्ष का कारावास, या
- जुर्माना, या
- दोनों।
BNS Sec 75 यौन उत्पीड़न के कानूनी तत्व (Legal Ingredients)
कोर्ट इस धारा को किस तरह समझता है, इसे तत्वों में बाँट कर देखें:
- आरोपी पुरुष होना चाहिए,
- उसने चार में से कोई एक कृत्य किया हो,
- वह कृत्य महिला के लिए अवांछनीय (unwelcome) हो,
- वह कृत्य यौन इरादे से किया गया हो।
BNS Sec 75: पुराने कानून (IPC धारा 354A) से तुलना:
पहलू | IPC धारा 354A | BNS धारा 75 |
कानून का ढांचा | भारतीय दंड संहिता, 1860 | भारतीय न्याय संहिता, 2023 |
लिंग पर ध्यान | पुरुष द्वारा महिला पर | वही |
धाराओं की संख्या | 4 | 4 |
(i)-(iii) की सज़ा | अधिकतम 3 वर्ष | वही |
(iv) की सज़ा | अधिकतम 1 वर्ष | वही |
भाषा | पारंपरिक | थोड़ी सरल और आधुनिक |
इससे स्पष्ट होता है कि कानून का मूल स्वरूप वही है, पर BNS में इसे नए और आधुनिक ढांचे में पेश किया गया है।
न्यायालयों की अहम व्याख्या:
- अपर्णा भट्ट बनाम मध्यप्रदेश राज्य (2021) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यौन अपराधों में न्यायपालिका की संवेदनशीलता महिलाओं की गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान करना चाहिए।
- विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997) – सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के लिए दिशानिर्देश दिए और कहा कि कोई भी अवांछनीय यौन आचरण मूल अधिकारों का उल्लंघन है।
- रूपन देओल बजाज बनाम केपीएस गिल (1995) – सुप्रीम कोर्ट ने सहमति के बिना शारीरिक संपर्क को कानूनन दंडनीय माना, जिससे IPC 354A और अब BNS 75 जैसे प्रावधानों का मार्ग प्रशस्त हुआ।
उदाहरणों के माध्यम से बेहतर समझ:
- मामला 1: एक वरिष्ठ अधिकारी बार-बार एक महिला सहकर्मी को डेट पर चलने को कहता है, जबकि वह साफ मना कर चुकी है – यह उपधारा (ii) के अंतर्गत यौन अनुग्रह (sexual favour) की मांग है।
- मामला 2: एक व्यक्ति महिला को व्हाट्सएप पर बिना उसकी अनुमति के अश्लील वीडियो भेजता है – यह उपधारा (iii) के अंतर्गत आता है।
- मामला 3: सड़क पर चलते समय कोई राहगीर महिला की पोशाक या शरीर को लेकर भद्दी टिप्पणी करता है – यह उपधारा (iv) के अंतर्गत यौन टिप्पणी है।
कानूनी समझ: BNS धारा 75 क्यों अहम है?
यौन उत्पीड़न के कई मामले डर, शर्म या जानकारी की कमी की वजह से रिपोर्ट नहीं होते। धारा 75 का उद्देश्य है:
- पीड़ित को रिपोर्ट करने की स्पष्ट ताकत देना,
- अपराध की गंभीरता के अनुसार उचित सजा तय करना,
- शारीरिक संपर्क, यौन मांग और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर कृत्य और केवल टिप्पणी जैसे अपेक्षाकृत हल्के कृत्य में अंतर करना।
कार्यस्थल पर यदि बॉस या सहकर्मी यौन उत्पीड़न कर रहे हों, तो क्या करें?
पीड़िता के लिए चरणबद्ध मार्गदर्शन:
- साक्ष्य इकट्ठा करें: मैसेज, ईमेल, सीसीटीवी फुटेज, स्क्रीनशॉट या वॉयस नोट्स सेव करें।
- घटनाओं को लिखें: तारीख, समय और जो हुआ, उसे विस्तार से लिखें।
- आंतरिक शिकायत समिति (ICC) से संपर्क करें: हर 10+ कर्मचारी वाले कार्यस्थल में POSH कानून के तहत यह जरूरी है।
- 3 महीने के अंदर लिखित शिकायत दें: विलंब हो तो ICC कारण स्वीकार कर सकता है।
- कानूनी सलाह लें: यदि ICC विफल हो या डर हो तो वकील से सलाह लें।
- FIR दर्ज करें: यदि मामला BNS 75 के अंतर्गत आता हो, जैसे शारीरिक संपर्क या पोर्न दिखाना।
- सुरक्षा माँगें: अगर धमकी मिले तो कोर्ट से सुरक्षा या ट्रांसफर की मांग करें।
Read More: BNS Section 72 in Hindi – कुछ अपराधों की पीड़िता की पहचान को उजागर करने पर रोक
❓ Q1: अगर कोई अधिकारी कहे कि “सेक्सुअल फेवर दो वरना नौकरी से निकाल दूंगा”, तो क्या करें?
✅ कानूनी समाधान:
यह ” कलम 75 ” यौन उत्पीड़न है। इसे निम्न कानूनों के तहत अपराध माना गया है:
- BNS की धारा 75
- POSH [Prevention of Sexual Harassment of Women at Workplace] अधिनियम, 2013 की धारा 3(2)(ii)
POSH अधिनियम, 2013 की धारा 3(2)(ii) की व्याख्या:
POSH Act, Section 3(2)(ii)
धारा 3(2): किसी महिला के प्रति कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न माना जाएगा यदि उस महिला के विरुद्ध ऐसा व्यवहार किया जाए—
(ii) उस महिला की कार्य निष्पादन क्षमता में हस्तक्षेप करने के लिए या एक डराने-धमकाने या अपमानजनक कार्य परिवेश बनाने के उद्देश्य से किया गया हो।
🔍 Simple Explanation:
धारा 3(2)(ii) कहती है कि अगर कोई ऐसा व्यवहार कार्यस्थल पर किसी महिला के साथ किया जाता है जिससे उसके काम करने की क्षमता प्रभावित होती है, या ऐसा डर या अपमानजनक माहौल बनता है, तो वह यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है।
✅ Ingredients of Section 3(2)(ii):
- Unwelcome behaviour (जैसे अश्लील टिप्पणी, घूरना, संदेश भेजना)
- ऐसा व्यवहार जिससे महिला की कार्य निष्पादन क्षमता घटे
- ऐसा माहौल बन जाए जो महिला को डराए, धमकाए या अपमानित करे
🏛 Example:
अगर किसी ऑफिस में एक पुरुष सहकर्मी बार-बार किसी महिला के पहनावे या शरीर पर टिप्पणी करता है, जिससे महिला असहज महसूस करती है और वह ठीक से काम नहीं कर पाती — तो यह धारा 3(2)(ii) के अंतर्गत यौन उत्पीड़न माना जाएगा।
📌 Note:
- POSH अधिनियम केवल महिलाओं की सुरक्षा के लिए बना है।
- इसमें सभी सेक्टर्स (सरकारी और निजी) शामिल हैं।
प्रत्येक कंपनी में Internal Complaints Committee (ICC) और (Local Committee – LC)बनाना अनिवार्य है यदि वहां 10 या अधिक कर्मचारी हों।
⚖️ कार्रवाई करें:
- Internal Complaints Committee(ICC) (अगर कंपनी में 10+ कर्मचारी हैं)
- Local Complaints Committee (LCC) (यदि ICC नहीं है)
- पुलिस में FIR करें (BNS 75 के तहत)
- यदि धमकी दी गई हो तो BNS 138 (पूर्व: IPC 506)
🛡️ अंतरिम सुरक्षा (Interim Relief):
- उत्पीड़क को ट्रांसफर करने की मांग
- 3 महीने तक की पेड लीव
- आपकी पोस्ट और वेतन की सुरक्षा
- हाई कोर्ट में रिट याचिका (Article 226) दायर कर सकते हैं
❓ Q2: नौकरी से गलत तरीके से निकाले जाने से कैसे बचें?
✅ ये कदम तुरंत उठाएं:
- सबूत संभालें: चैट्स, ईमेल, रिकॉर्डिंग्स, गवाहों की जानकारी
- डायरी बनाएं: तारीख, समय, घटना का विवरण
- ICC में लिखित शिकायत दर्ज करें: शिकायत के बाद जाँच तक आपको नौकरी से नहीं निकाला जा सकता
- अगर निकाल दिया गया:
- लेबर कमिश्नर के पास जाएं
- कोर्ट में मुआवज़ा और बहाली की मांग करें
- BNS व POSH के तहत क्रिमिनल केस दर्ज करें
- रक्षा: POSH एक्ट में कहा गया है कि शिकायतकर्ता के साथ प्रतिशोध नहीं हो सकता
❓ Q3: अगर परिवार को धमकी या नुकसान पहुंचाया जाए तो क्या करें?
🛡️ कानूनी सुरक्षा:
- BNS 138 (पूर्व: IPC 506) के तहत – परिवार को धमकाना अपराध है
- पुलिस में शिकायत दर्ज करें और परिवार की सुरक्षा की मांग करें
- महिला आयोग या NGO की मदद लें
- अदालत से अंतरिम सुरक्षा आदेश लें
- यदि शादीशुदा हैं और आरोपी के साथ रह रही हैं, तो PWDVA (घरेलू हिंसा कानून) के तहत शिकायत कर सकती हैं
❓ Q4: मुझे नौकरी की ज़रूरत है — क्या चुप रहना बेहतर है?
उत्तर: नहीं। चुप रहना उत्पीड़क को और ताकत देता है।
बजाय डरने के, यह करें:
- ICC में गोपनीय शिकायत दर्ज करें
- NGO या कानूनी सहायता केंद्र से संपर्क करें (जैसे: सखी, NCW)
- यदि डर के कारण इस्तीफा देना पड़े, तो पत्र में उत्पीड़न का ज़िक्र करें और उसकी कॉपी रखें
इससे यह सुनिश्चित होता है कि यौन दुर्व्यवहार के हर रूप को पहचाना जाए और उस पर कार्रवाई हो।
तालिका: जमानत, संज्ञेयता और किस कोर्ट में सुनवाई
उपधारा | प्रकार | संज्ञेय | जमानती | विचारणीय कोर्ट |
(i)-(iii) | गंभीर | हाँ | हाँ | प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट |
(iv) | हल्का | नहीं | हाँ | कोई भी मजिस्ट्रेट |
📌 Section 75 BNS पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs
❓प्रश्न: Section 75 BNS क्या है?
उत्तर: यह धारा किसी पुरुष द्वारा महिला के प्रति यौन उत्पीड़न को परिभाषित करती है, जैसे कि बिना सहमति शारीरिक संपर्क, यौन अनुग्रह की मांग, जबरन अश्लील सामग्री दिखाना, या अश्लील टिप्पणी करना।
🔹 गंभीर कृत्यों के लिए सज़ा: 3 साल तक की कठोर कारावास + जुर्माना।
🔹 केवल टिप्पणी के लिए सज़ा: 1 साल तक की सज़ा + जुर्माना।
प्रश्न 1: क्या किसी महिला पर भी सेक्शन 75 के तहत केस दर्ज हो सकता है?
उत्तर: नहीं। यह धारा केवल पुरुष आरोपी पर लागू होती है।
प्रश्न 2: क्या सेक्शन 75 केवल कार्यस्थल पर ही लागू होता है?
उत्तर: नहीं। यह सभी स्थानों पर लागू होता है—चाहे वह सार्वजनिक हो, निजी हो, डिजिटल माध्यम हो या कोई पेशेवर जगह।
प्रश्न 3: अगर आरोपी कहे कि यह तो मज़ाक था, तब क्या होगा?
उत्तर: यदि पीड़िता को वह हरकत अनुचित लगी और उसने असहज महसूस किया, तो आरोपी की मंशा नहीं बल्कि उसका असर ज़्यादा मायने रखता है।
प्रश्न 4: क्या पीड़िता सीधे एफआईआर दर्ज कर सकती है?
उत्तर: हां। यह अपराध संज्ञेय है (सिवाय उपधारा iv के), इसलिए पुलिस शिकायत पर कार्रवाई कर सकती है।
प्रश्न 5: क्या यह केस सेटल किया जा सकता है?
उत्तर: हां, लेकिन केवल अदालत की अनुमति से और कुछ विशेष परिस्थितियों में।
👩⚖️ अन्य महत्वपूर्ण सवाल — पीड़िता से संबंधित (Victim-Centric Questions)
प्रश्न 1: अगर मेरे कार्यस्थल पर ICC (Internal Complaints Committee) नहीं है तो क्या करूं?
उत्तर: आप जिला अधिकारी के तहत स्थानीय शिकायत समिति (Local Complaints Committee – LCC) से संपर्क कर सकती हैं।
प्रश्न 2: क्या शिकायत दर्ज करने पर मुझे नौकरी से निकाल सकते हैं?
उत्तर: नहीं। प्रतिशोध (retaliation) अवैध है। ऐसी स्थिति में आप श्रम अधिकारी या अदालत की मदद ले सकती हैं।
प्रश्न 3: क्या मुझे मुआवज़ा मिल सकता है?
उत्तर: हां। ICC या अदालतें आपके मानसिक कष्ट, करियर में नुकसान और उत्पीड़न के प्रभावों को देखते हुए मुआवज़े की सिफारिश कर सकती हैं।
प्रश्न 4: अगर आरोपी बहुत वरिष्ठ या प्रभावशाली हो तब क्या करें?
उत्तर: फिर भी शिकायत दर्ज करें। आप NGO या मुफ्त कानूनी सहायता केंद्र से सहयोग ले सकती हैं। आप हाईकोर्ट में रिट याचिका भी दायर कर सकती हैं।
प्रश्न 5: क्या मेरी पहचान गोपनीय रखी जाएगी?
उत्तर: हां। POSH कानून के अनुसार गोपनीयता अनिवार्य है। मीडिया या संस्थान आपकी पहचान उजागर नहीं कर सकते।
✅ निष्कर्ष:
BNS Sec.75 केवल कानूनी प्रावधान नहीं है, बल्कि भारत के सम्मान, समानता और न्याय के मूल्यों का प्रतीक है।
चाहे आप लॉ के छात्र हों, प्रोफेशनल हों या जागरूक नागरिक — इस कानून को जानना हमें यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाने की शक्ति देता है।
👉 अगर यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे दूसरों तक पहुँचाएं और जागरूकता बढ़ाएं।
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